द गर्ल इन रूम 105
गार्डन में देखा। वहां एक डबल स्ट्रोलर रखा था। फैज के जुड़वां बच्चे कितने बड़े थे?" मैंने कहा।
"तीन साल के ओह, ये डबल स्ट्रोलर तो जुड़वा बच्चों के लिए ही है।" "तब तो यही वो जगह है। चलो, अब चलते हैं। हम अगले संडे फिर आएंगे, जब टी-20 फ़ाइनल है, ' मैंने
कहा।
"मैच कब शुरू होगा?' 'आठ बजे।"
हम स्पोर्ट्स वाले कपड़े पहनकर उसी मैथड का इस्तेमाल करते हुए एक बार फिर अर्जुन विहार में घुस गए थे। इस बार हमे अपने साथ एक बैंकक भी ले आए थे। मैच शुरू होने में अभी समय था, इसलिए हम आठव टॉवर की दस मंज़िल तक चढ़ गए थे और टैरेस लैंडिंग एरिया के पास इंतज़ार कर रहे थे। हमने टी-20 वर्ल्ड कप
फायनल के समय फ़ैज़ के घर में घुसने का फ़ैसला इसलिए किया था, क्योंकि उस समय सभी क्रिकेट के खुमार में मदहोश रहते हैं।
'बस एक घंटा और मैंने कहा।
सौरभ अपने फ़ोन पर एक गेम खेलने लगा।
"मैं कैंडी क्रश के लेवल श्री हंड्रेड तक पहुंच गया हूं, ' उसने कहा। 'कैंडी क्रशर क्यों? टिंडर से दिल भर गया? मैंने कहा।
'टिंडर की ऐसी की तैसी, सौरभ ने जेलीज़ को हटाने के लिए अपने फोन की स्क्रीन पर उंगली फिराते हुए
कहा।
'लेकिन पिछले हफ्ते तुम्हें एक टिंडर मैच मिला था ना?' 'वो तो ट्रांज्वेस्टाइट निकला।'
"क्या?'
'उसने कहा मेरे पास बूब्स हैं, डिक है, और एक हार्ट भी है। मिलना चाहोगे?"
मैं ज़ोर से हंस पड़ा।
'तीन में से दो बुरा सौदा नहीं था। तुम एडजस्ट कर सकते थे, ' मैंने कहा।
'श्श्श, चुप रहो। तुम चाहते हो कि फ़ौजी लोग यहां आ जाएं और हमारा कचूमर बना दें?" सौरभ ने कहा,
उसकी आंखें अब भी फोन स्क्रीन पर जमी थीं। एक घंटे बाद, सही समय आ गया था।
*ध्यान से, ' मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
हम दवे कदमों से फ़ैज़ के गार्डन में घुस गए थे। मैच शुरू हो गया था और पूरी कॉलोनी वीरान लगने लगी थी। मैंने आसपास और ऊपर देखा । अंधेरे में कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। सौरभ घास पर बैठा और अपना बैकपैक खोल लिया। उसने उसमें से पॉवर ड्रिल, बैटरी पैक और तीन टॉवल बाहर निकाले। उसने बैटरी पैक को ड्रिल में डाला और पॉवर ऑन कर दिया। ड्रिल से इतनी जोरदार आवाज़ निकली कि हम दोनों उछल पड़े।
'डैम, यह तो बहुत आवाज़ कर रहा है।'
'रुको,' सौरभ ने कहा उसने पॉवर ड्रिल बंद की और उसके इर्दगिर्द तीन टॉवल लपेट दिए।
हम फ्रंट डोर की तरफ बढ़े, जो गार्डन की ओर खुलता था। मैंने लॉक खोजने के लिए अपने फ़ोन की
फ़्लैशलाइट चालू की।
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